रस उन आँखों में है, कहने को ज़रा-सा पानी…

रस उन आँखों में है, कहने को ज़रा-सा पानी…           आरज़ू लखनवी का शुमार उन शायरों में होता है, जिन्होंने न सिर्फ़ अपना नाम उर्दू अदब में सुनहरे हुरूफ़...

कला से आशय आख़िर है क्या?

कला से आशय आख़िर है क्या?        कला है क्या? आज की बात इस मूल प्रश्न से आरंभ करेंगे। इस विषय में अन्य चिन्तकों ने अपने-अपने मत प्रस्तुत किये...

ललिता-रफ़ी के सुरों की देसी मिठास

ललिता-रफ़ी के सुरों की देसी मिठास किशोर साहू निर्देशित “नदिया के पार” में नायिका कामिनी कौशल और नायक दिलीप कुमार पर एक बड़ा ही दिलकश दोगाना फ़िल्माया गया था-...

मीर अम्मन का ‘बाग़-ओ-बहार’

मीर अम्मन का ‘बाग़-ओ-बहार’         फ़ोर्ट विलियम कॉलेज में जॉन गिलक्रिस्ट की फ़रमाइश पर मीर अम्मन देहलवी ने मीर हुसैन अता तहसीन की “नौ तर्ज़-ए-मुरस्सा” से लाभ उठाकर बाग़-ओ-बहार...

विविधता और ताज़गी का अहसास

विविधता और ताज़गी का अहसास         “दूध की जाति” आलोक कुमार मिश्रा का पहला कहानी संग्रह है। आलोक मूलतः कवि हैं।आपने बच्चों के लिए भी कविताएँ लिखी हैं और...

पर्दा नहीं जब कोई ख़ुदा से, बंदों से पर्दा करना क्या

जिया सो गाया पर्दा नहीं जब कोई ख़ुदा से, बंदों से पर्दा करना क्या मनस्वी अपर्णा ‘जब प्यार किया तो डरना क्या…’ फिल्म मुग़ले-आज़म और हिंदुस्तानी सिनेमा के सफ़र...

नयी सदी की चुनौतियांँ और नवगीत कविता-5

नयी सदी की चुनौतियांँ और नवगीत कविता-5             कविता की सही पहचान पढ़ने,‌ गुनगुनाने व सुनने से ही हो पाती है, यह बात छांदस कविता और गद्य कविता दोनों...

आसेब, ख़ाली हाथ और ज़ुबैर रिज़वी

आसेब, ख़ाली हाथ और ज़ुबैर रिज़वी ‘आसेब’ शब्द किसी रहस्य, एक सवाल की तरह मुझे मिला… जिसके हल हो जाने से मुझे ख़ुशी मिलने वाली थी। एक ऐसी गुत्थी...

शाइरी की रेल-शब्दों के पुल

शाइरी की रेल-शब्दों के पुल         प्रत्येक कलाकार इस तथ्य की पुष्टि करेगा कि वे विशेष क्षण होते हैं, जब मन-मस्तिष्क एक आवेश से संचालित होकर कला के नये...

छड़ी रे छड़ी!

तख़्ती छड़ी रे छड़ी! आलोक कुमार मिश्रा           केरल हाइकोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में कुछ ऐसा कहा जिसे सुनकर नागरिकों और विशेषकर हम शिक्षकों का...