सेक्युलर, समाजवाद… शब्दों की लाश पर वबाल क्यों?

सेक्युलर, समाजवाद… शब्दों की लाश पर वबाल क्यों?               असल बात नीयत की है। जब संविधान बन रहा था, तब जवाहरलाल नेहरू और...

मुक्त सिनेमा बनाम ग़ुलाम सेंसर बोर्ड

मुक्त सिनेमा बनाम ग़ुलाम सेंसर बोर्ड              क़ैद में एक लड़की से पुलिस की सख़्त पूछताछ, शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना, पूछताछ में पुलिस के...

सूचना-मुक्त होते हुए हम

सूचना-मुक्त होते हुए हम भारत-पाकिस्तान की सरहदों पर संघर्ष हुआ, फिर जंगबंदी हो गयी। जंग के हिमायती एक बहुत बड़े जनसमूह ने मर्यादा की लक्ष्मण रेखाएं भी पार कर...

आइए, खोजें कोई ‘हलगाम’

आइए, खोजें कोई ‘हलगाम’ हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिनदिल के ख़ुश रखने को ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है जन्नत कहा जाता है कश्मीर को। बनाया जाता है...

सफ़र बड़ा है सोच से..

हम बोलेंगे सफ़र बड़ा है सोच से.. भवेश दिलशाद याद आते हैं पिता, जिनकी संगठनात्मक क्षमता, जिजी-विषा, निडरता बेमिसाल थी। मेरे हिस्से में उनके बाक़ी गुण भले बहुत सीमाओं...

उर्दू, ईदी, शब्दकोष

हम बोलेंगे (संपादकीय) उर्दू, ईदी, शब्दकोष भवेश दिलशाद हम भूल हैं या दाग़ हैं उजले वरक़ नहींतारीख़ की क़सम तुम्हें दुहराओ मत हमें        अंग्रेज़ों ने रेल...