August 30, 2025 आब-ओ-हवा ग़ज़ल: लौ और धुआं नयी शायरी : तकनीक के ज़ाविये में ढलने का हुनर पाक्षिक ब्लॉग आशीष दशोत्तर की कलम से…. नयी शायरी : तकनीक के ज़ाविये में ढलने का हुनर शाइरी के अपने तकाज़े रहे हैं। अपने... Continue Reading
August 28, 2025 आब-ओ-हवा काव्य शायरी में बारिश-बादल-बरसात ‘मान’ सहज व रोचक अंदाज़ में उस परिदृश्य को सामने लाती है, जो इस शती के पूर्वार्द्ध तक के समाज की तस्वीर रहा है। अंत में कहानी के पारंपरिक... Continue Reading
August 14, 2025 भवेश दिलशाद हम बोलेंगे आज़ादी के मायने बचाने का वक़्त भवेश दिलशाद की कलम से…. आज़ादी के मायने बचाने का वक़्त 15 अगस्त आता है तो बंटवारे की त्रासदी उभरने लगती ही है।... Continue Reading
August 14, 2025 आब-ओ-हवा तरक़्क़ीपसंद तहरीक की कहकशां आवाज़ दो हम एक हैं संदर्भ: आज़ादी के आंदोलन में तरक़्क़ी-पसंद शायरों का किरदार और उनकी शायरी का योगदान ज़ाहिद ख़ान की कलम से…. आवाज़ दो हम एक हैं ... Continue Reading